हवा की गुणवत्ता

धरती पर जीवन के लिए साफ़ हवा बहुत ज़रूरी है, लेकिन दुनिया भर में 90 प्रतिशत से ज़्यादा जनसंख्या प्रदूषित हवा में सांस लेती है. पिछले कई सालों में, Google ने स्ट्रीट व्यू के लिए इस्तेमाल होने वाले हमारे कई वाहनों में, वायु प्रदूषण का पता लगाने वाले सेंसर लगाए हैं, ताकि हमारे शहर की हर सड़क की हवा की क्वालिटी को मापा जा सके. हम दुनिया भर में अपने पार्टनर के साथ काम कर रहे हैं, ताकि हवा की क्वालिटी मापने के लिए ऐसे 50 करोड़ से ज़्यादा उपकरण तैयार किए जा सकें. हमें उम्मीद है कि इस जानकारी की मदद से, शहरों में प्रदूषण को कम करने के लिए बेहतर फ़ैसले लिए जा सकेंगे. साथ ही, पर्यावरण के लिहाज़ से शहर को साफ़-सुथरा रखने और लोगों की सेहत को बेहतर बनाने की कोशिशों को रफ़्तार मिलेगी. हवा की क्वालिटी मापने वाले उपकरणों से ऐसे सभी छोटे-छोटे कणों और गैसों का डेटा तैयार किया जा सकता है जो प्रदूषण के लिए ज़िम्मेदार होते हैं. इस डेटा की मदद से वायु प्रदूषण को कम करके, हम साफ़ हवा में सांस ले सकेंगे और सेहतमंद ज़िंदगी जी पाएंगे.

डबलिन

हम डबलिन सिटी काउंसिल के स्मार्ट डबलिन प्रोग्राम के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि स्थानीय स्तर पर हवा की क्वालिटी का डेटा तैयार किया जा सके. डेटा से मिली अहम जानकारी की मदद से, आयरलैंड की राजधानी की जलवायु और यहां के लोगों की सेहत को बेहतर बनाने के लिए ज़रूरी कदम उठाए जा सकेंगे. Google के एनवायर्नमेंटल इनसाइट्स एक्स्प्लोरर (EIE) प्लैटफ़ॉर्म के साथ डबलिन की साझेदारी का यह दूसरा चरण है. इसमें, हम सार्वजनिक परिवहन से जुड़े स्मार्ट प्रोग्राम को वह जानकारी देते हैं जिसकी मदद से उत्सर्जन कम किया जा सके. साथ ही, वायु प्रदूषण न करने वाले वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा सके. इस पहल के तहत, Google की स्ट्रीट व्यू टेक्नोलॉजी वाली पहली इलेक्ट्रिक कार (Jaguar I-PACE) को, एक साल तक शहर में हवा की क्वालिटी मापने के लिए डिप्लॉय किया जाएगा. क्वालिटी मापने के लिए, एक्लीमा के एक खास मोबाइल एयर सेंसिंग प्लैटफ़ॉर्म का इस्तेमाल किया जाएगा. इसकी मदद से हवा में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), नाइट्रस ऑक्साइड (NO), कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), बारीक पर्टिकुलेट मैटर (PM2.5), और ओज़ोन (O3) की मात्रा को मापा जा सकता है. हवा में इन प्रदूषकों की ज़्यादा मात्रा में मौजूदगी होने पर, जलवायु और लोगों की सेहत, दोनों पर बुरा असर पड़ता है. आयरलैंड में, ऐसा पहली बार हुआ है जब वायु प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस के आंकड़े इकट्ठा करने के लिए, Google स्ट्रीट व्यू टेक्नोलॉजी वाली कार का इस्तेमाल किया गया है. आम तौर पर, इससे Google Maps के 'स्ट्रीट व्यू' के लिए तस्वीरों का संग्रह किया जाता है. ऐसा सिर्फ़ Jaguar Land Rover की इंजीनियरिंग टीम की वजह से संभव हो पाया है, जिसने किसी वाहन के साथ Google की स्ट्रीट व्यू टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल का तरीका डेवलप किया है.

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एनवायर्नमेंटल इनसाइट्स एक्स्प्लोरर प्लैटफ़ॉर्म पर लॉन्च किए गए, हवा की क्वालिटी की जानकारी देने वाले मैप

अक्टूबर 2019 में हमने एनवायर्नमेंटल इनसाइट्स एक्स्प्लोरर प्लैटफ़ॉर्म पर प्रदूषण से जुड़ा नया डेटा प्रकाशित किया. इसमें शहर की हर सड़क के लिए, स्थानीय स्तर पर हवा की क्वालिटी के बारे में अहम जानकारी मिलती है. इसकी शुरुआत कोपनहेगन और लंदन से की गई. यह डेटा एक नए सेक्शन में शामिल किया गया है, जिसे EIE लैब कहते हैं. इसमें, जलवायु से जुड़े काम को प्राथमिकता देने और उसे ट्रैक करने के लिए, जलवायु के आधार पर तैयार किए गए डेटासेट को एक अहम संकेत के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा. हम कोपनहेगन का नया एयर क्वालिटी मैप बना रहे हैं. इसे कोपनहेगन शहर के प्रशासन और यूट्रेक्ट विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की मदद से तैयार किया जा रहा है. इसके लिए, Google के 'स्ट्रीट व्यू' वाहनों से इकट्ठा किए डेटा का इस्तेमाल किया जा रहा है. Google के 'स्ट्रीट व्यू' वाहनों में ऐसे वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं, जिससे शहर की सड़क की हवा की क्वालिटी को मापा जाता है. कोपनहेगन के नए एयर क्वालिटी मैप में, हर ब्लॉक में ब्लैक कार्बन की मात्रा के साथ ही हवा में प्रदूषण फैलाने वाले अल्ट्राफ़ाइन कणों को भी देखा जा सकता है. मैप का इस्तेमाल करके कोपनहेगन, वास्तुकारों और दूसरे विशेषज्ञों के साथ मिलकर शहर को बेहतर बनाने की योजना पर काम कर रहा है.


अल्ट्राफ़ाइन पार्टिकुलेट मैटर (यूएफ़पी, इसे पीएम 0.1 भी कहते हैं) नैनोस्केल साइज़ (व्यास में 0.1 माइक्रोन से भी कम) के कण होते हैं. अल्ट्राफ़ाइन कण, ट्रैफ़िक से निकलते हैं और ये हमारे फेफड़ों और खून में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं.

लंदन में, ब्रीद लंदन प्रोजेक्ट के साथ साझेदारी में, हमने नए मैप प्रकाशित किए हैं. इन मैप की मदद से हवा में प्रदूषण फैलाने वाले फ़ाइन पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की जानकारी पाई जा सकती है.


नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) मुख्य तौर पर ईंधन के जलने से बनता है. खास तौर पर, कार, ट्र्क, और पावर प्लांट से निकलने वाले धुएं से. यह सांस की बीमारियों को बढ़ाता है, जैसे दमे का दौरा पड़ना और फेफड़ों का कमज़ोर हो जाना.

एम्सटर्डम

मई, 2019 में हमने एलान किया कि हम एम्सटर्डम के साथ साझेदारी कर रहे हैं, ताकि स्ट्रीट लेवल पर शहर की हवा की गुणवत्ता से जुड़ी जानकारी इकट्ठा की जा सके. दो 'स्ट्रीट व्यू' कारों में एयर सेंसर लगाए गए, ताकि हवा में मौजूद नाइट्रिक ऑक्साइड (NO), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5, पीएम 10), अल्ट्राफ़ाइन पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 0.1), और ब्लैक कार्बन की मात्रा को मापा जा सके. यूट्रेक्ट विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इन 'स्ट्रीट व्यू' कारों में एयर सेंसर लगाए हैं. ये वैज्ञानिक, शहर के प्रशासन और Google के साथ मिलकर कारों के गुज़रने वाले रास्ते तय कर रहे हैं. साथ ही, ये वैज्ञानिक डेटा की पुष्टि और विश्लेषण करनेवाले कार्यक्रम की अगुवाई भी कर रहे हैं. डेटा की पुष्टि और विश्लेषण का काम पूरा होने के बाद, हमारा लक्ष्य होता है कि हम इससे जुड़ी अहम जानकारी को लोगों के साथ शेयर करें, ताकि सभी -- नागरिक, वैज्ञानिक, अधिकारी, और संगठन -- ज़्यादा बेहतर निर्णय ले सकें.

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कोपनहेगन

अक्टूबर, 2018 में हमने कोपनहेगन और Google के साथ साझेदारी में एक प्रोजेक्ट लॉन्च किया, जिससे स्ट्रीट लेवल पर शहर की हवा की गुणवत्ता से जुड़ी अहम जानकारी इकट्ठा कर पाने में मदद मिल सके. कोपनहेगन में, हमने नीदरलैंड्स के यूट्रेक्ट विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की मदद से कार में हवा की गुणवत्ता मापने वाले उपकरण लगाए. ये वैज्ञानिक, डेटा की पुष्टि करने और विश्लेषण के काम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. डेनमार्क का आरहस विश्वविद्यालय भी इस काम में योगदान देगा.

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लंदन

2018 में हमने एनवायरमेंटल डिफ़ेस फ़ंड, ग्रेटर लंदन अथॉरिटी, सी40, एयर मॉनिटर, नैशनल फ़िज़िकल लैबोरेटरी, कैम्ब्रिज एनवायरमेंटल रिसर्च कंसल्टेंट, और दूसरे रिसर्च पार्टनर के साथ साझेदारी का एलान किया. यह साझेदारी ब्रीद लंदन प्रोजेक्ट के तहत की गई थी. हमने हवा में घुले प्रदूषण को मापने के लिए खास तौर पर एयर सेंसर लगे दो 'Google स्ट्रीट व्यू' कार को लंदन की सड़कों पर उतारा. हमारी कोशिश थी कि साल 2019 के दौरान शहर में प्रदूषण से जुड़े आंकड़े इकट्ठा करके उनका विश्लेषण किया जा सके.

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ह्यूस्टन

2018 में एनवायरमेंटल डिफ़ेस फ़ंड (ईडीएफ) के साथ ही राइस विश्वविद्यालय और सोनोमा टेक्नोलॉजी के रिसर्चर के साथ हमने साझेदारी की और जुलाई, 2017 से मार्च, 2018 के दौरान ह्यूस्टन और उसके आस-पास के इलाकों में हवा की गुणवत्ता मापने वाले उपकरण लगे दो 'Google स्ट्रीट व्यू' कारों को दौड़ाया. ह्यूस्टन में कमर्शियल और इंडस्ट्रियल गतिविधियों के साथ ही रिहायशी इलाके होने की वजह से प्रोजेक्ट के जो नतीजे आए, वे बाकी जगहों से अलग थे. यहां प्रदूषण फैलाने वाले अलग-अलग कॉम्पोनेंट का मिश्रण मिला.



ओकलैंड

2017 में हमारे पार्टनर एनवायरमेंटल डिफ़ेस फ़ंड (ईडीएफ) (EDF), एक्लीमा, और यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्सस-ऑस्टिन की मदद से, हमने अपनी उस कोशिश के पहले नतीजे शेयर किए जो हमने 2015 में शुरू की थी. इसके तहत Google के 'स्ट्रीट व्यू' कारों का इस्तेमाल करके हवा की गुणवत्ता को मापना था. अब आप ईडीएफ की ओर से जारी किए गए ओकलैंड और कैलिफोर्निया के मैप देख सकते हैं. इन मैप में कारों, ट्रकों, और दूसरे स्रोतों से निकलने वाली—नाइट्रिक ऑक्साइड (NO), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), और ब्लैक कार्बन की मात्रा के बारे में बताया गया है. ये गैस हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकती हैं.


ब्लैक कार्बन के कण ईंधन के जलने से पैदा होते हैं. खास तौर पर, डीज़ल, लकड़ी, और कोयले के धुएं से. इन कणों की वजह से दिल का दौरा, स्ट्रोक, और कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं. Google/एक्लीमा से मिला हवा की गुणवत्ता का डेटा; विश्लेषण Apte et al/EDF ने किया है. मैप पर दिखाए गए रंग का संबंध 'एयर क्वालिटी इंडेक्स' से नहीं है. ज़्यादा जानकारी के लिए edf.org/airqualitymaps पर जाएं.

वैज्ञानिक, अब पुष्टि किए गए इस डेटा को ऐक्सेस करने का अनुरोध सकते हैं. आप इन मैप के पीछे छिपे विज्ञान को समझने के लिए एनवायर्नमेंटल साइंस & टेक्नोलॉजी पत्रिका देख सकते हैं. इसे यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्सस-ऑस्टिन के वैज्ञानिकों की टीम ने तैयार किया है.इसकी अगुवाई डॉ. जोशुआ आप्टे ने की है.

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विस्तार करने का हमारा प्लान

एक्लीमा की मदद से, हम हवा की गुणवत्ता मापने वाले उपकरणों का परीक्षण करते आए हैं. इससे इन उपकरणों में लगे मोबाइल-फ़्रेंडली एयर सेंसर को इस हद तक बेहतर बनाने में मदद मिलती है कि वे लैबोरेटरी-ग्रेड उपकरण के जैसे सटीक नतीजे दे सकें. सालों की कोशिशों के बाद, सितंबर, 2018 में हमने इस लक्ष्य को हासिल कर लेने की घोषणा की. साथ ही, 50 और 'स्ट्रीट व्यू' कारों को हवा की गुणवत्ता की मैपिंग के काम में लगाने का एलान किया, जिससे दुनिया भर में और ज़्यादा जगहों की एयर क्वालिटी के बारे में जानकारी मिल सके.

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हमारे रिसर्च के शुरुआती चरण के दौरान, Google और एक्लीमा ने कुछ 'स्ट्रीट व्यू' कारों में हवा की गुणवत्ता मापने वाले उपकरण लगाकर, उनका परीक्षण किया. हर एक कार में दो तरह के उपकरण के अलग-अलग सेट लगाए गए: पहले सेट में हवा की गुणवत्ता मापने वाले लैबोरेटरी-ग्रेड उपकरण लगाए गए, जिनका इस्तेमाल आम तौर पर सरकारी एजेंसियां करती हैं. यह उपकरण आकार में काफ़ी बड़े होते हैं. साथ ही, ये इतने महंगे होते हैं कि ज़्यादा 'स्ट्रीट व्यू' कारों में लगा पाना मुश्किल होता है. दूसरे सेट में Aclima के एयर सेंसर थे, जो काफ़ी छोटे और मोबाइल-फ्रेंडली थे. इस वजह से इन सेंसर को ज़्यादा-से-ज़्यादा कारों में लगाना आसान था. दोनों उपकरणों के सेट को कार में अलग-अलग लगाकर, उनके काम करने की क्षमता का आकलन किया गया और पाया गया कि Aclima सेंसर, इस्तेमाल में ज़्यादा आसान और किफ़ायती हैं. इसलिए, इन्हें 50 'स्ट्रीट व्यू' कारों में लगाने का फ़ैसला किया गया.

मीथेन गैस को मैप करना

प्रोजेक्ट 'एयर व्यू' की शुरुआत 2014 में हुई, जब हमने एलान किया कि हम एनवायरमेंटल डिफ़ेंस फ़ंड (ईडीएफ़) के साथ मिलकर अमेरिका के चुनिंदा शहरों की सड़कों के नीचे बिछी नैचुरल गैस लाइन से भारी मात्रा में लीक हो रही मीथेन गैस का पता लगाने का काम कर रहे हैं. इसका पता लगाने के लिए, ऐसे 'स्ट्रीट व्यू' कारों का इस्तेमाल किया जाता है जिनमें मीथेन गैस का पता लगाने वाले उपकरण लगे हैं. अमेरिका की सबसे बड़ी बिजली कंपनियों में से एक PSE&G ने 2016 में एलान किया कि उन्होंने 'स्ट्रीट व्यू' मैपिंग टेक्नोलॉजी की मदद से मिले डेटा और मैप का इस्तेमाल करके, गैस लाइनों को बदलने का काम किया. यह काम उन्होंने मंज़ूर किए गए लाखों डॉलर की लागत वाले पाइपलाइन रिप्लेसमेंट प्रोग्राम के तहत किया. डेटा की मदद से कंपनी को, उन इलाकों में पाइपलाइन बिछाने की लागत में 35 प्रतिशत तक की बचत हुई. साथ ही, मीथेन गैस के रिसाव में भी 83 प्रतिशत तक की कमी आई. इसके बारे में ज़्यादा जानने के लिए ईडीएफ़ की साइट देखें. साथ ही, इसको लेकर किए गए वैज्ञानिक काम के बारे में जानने के लिए, एनवायर्नमेंटल साइंस & टेक्नोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित लेख पढ़ें.

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