Open Water Data
चुनौती और संगठन
आम तौर पर, जल प्रबंधन पर ज़रूरत के मुताबिक ध्यान नहीं दिया जाता है. इसकी वजह से इसके संभावित विनाशकारी नतीजे देखने को मिले हैं. खास तौर पर, भारत जैसे देश में मौसम से जुड़ी परेशानियां बढ़ती जा रही हैं. उदाहरण के लिए, 2015 के आखिर में, चेन्नई शहर में खराब शहरी नियोजन और रिकॉर्ड-तोड़ बारिश सदी की सबसे भयानक बाढ़ लेकर आई. कुछ महीनों बाद, लातूर शहर के जलाशय का पानी सूख गया और शहर, 300 किलोमीटर से भी ज़्यादा दूर से आने वाली ट्रेनों से पहुंचाए जाने वाले पानी पर निर्भर था.
इस तरह की घटनाएं सिर्फ़ प्राकृतिक असर के नतीजे नहीं हैं. मिट्टी की नमी का स्तर, रोज़ होने वाली बरसात (बरसात, फुहार, हिमपात, वगैरह), मौसम के अनुसार ज़मीन के अंदर पानी में उतार-चढ़ाव, और नदी का बहाव जैसे कई बुनियादी आंकड़े हैं. इनके बिना योजना बनाने वाले लोगों और स्थानीय सरकारों के लिए पानी के संसाधनों का सही तरह से उस तरह का प्रबंधन करना मुश्किल है, ताकि वे मौसम की बहुत खराब स्थिति या अचानक घटने वाली घटनाओं के लिए बेहतर तरीके से तैयारी कर सकें.
2011 के बाद से, भारत के तकनीकी विशेषज्ञों और डेवलपमेंट सेक्टर के पेशेवरों के एक समुदाय डेटामीट ने सार्वजनिक डोमेन में डेटासेट के ऐक्सेस को बेहतर करने की दिशा में काम किया है. जैसा कि कई दूसरे सेक्टर में भी होता है, जल एक ऐसा सेक्टर है जिसमें अच्छा डेटा मिलना बहुत मुश्किल है. यह डेटा या तो सरकारी कमरों में बंद है या फिर उन लाइसेंसिंग समझौतों में मौजूद है जो सभी की पहुंच में नहीं है. जुलाई 2017 में 'डेटामीट' के कुछ सदस्य इकट्ठा हुए और खास तौर पर इन मुद्दों को हल करने के लिए उन्होंने ‘ओपन वॉटर डेटा’ प्रोजेक्ट की शुरुआत की. उनका मकसद शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में जल स्रोतों के लिए बेहतर शोध और योजना बनाने के लिए ज़रूरी डेटा मुहैया कराना है.
उन्होंने यह कैसे किया
विशेषज्ञों और पेशेवरों के ग्रुप ने फ़ैसला किया कि जल संसाधनों के बारे में एक Map-आधारित वेब ऐप्लिकेशन बनाने से शोधकर्ताओं और दूसरे लोगों को आसानी से बड़े पैमाने पर जानकारी उपलब्ध करवाई जा सकती है. साइट बनाने के लिए उन्होंने Google टूल के संकलन का इस्तेमाल किया. क्रेग डिसूज़ा ने बताया कि उन्होंने Google का Earth Engine प्लैटफ़ॉर्म इसलिए चुना, क्योंकि इसमें सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध जल के बारे में काफ़ी बड़े डेटा सेट थे. साथ ही, डेटा दिखाने के लिए सबसे अच्छी मैपिंग टेक्नोलॉजी और वेबसाइट चलाने के लिए शक्तिशाली क्लाउड−आधारित प्लैटफ़ॉर्म भी था.
उनके ग्रुप ने डेटा इकट्ठा करने और Map-आधारित Open Water Data वेब ऐप्लिकेशन बनाने और चलाने के लिए Google Maps Platform, Google Earth Engine, और Google Cloud Platform का इस्तेमाल किया. यह नासा और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी, और Google Earth Engine में पानी से संबंधित कई डेटा सेट का इस्तेमाल करता है जो उष्णकटिबंधीय वर्षा मापक मिशन (टीआरएमएम) पर सहयोग करता है. जब कोई व्यक्ति Open Water Data ऐप्लिकेशन पर जाता है और एक खास भारतीय वॉटरशेड में दैनिक वर्षा जैसी पानी की जानकारी चाहता है, तो वह मनमुताबिक डेटा का चुनाव करते हैं, और Google Earth Engine API से इसे पाते हैं.Google Maps का JavaScript API एक मैप बनाता है और डेटा को ओवरले के तौर पर दिखाता है. Google App Engine वेब ऐप्लिकेशन चलाता है. प्रोजेक्ट के प्रमुख डेवलपर नमिता भटावडेकर ने वेब ऐप्लिकेशन के लिए टेक-स्टैक के बारे में ज़्यादा जानकारी दी है. आप इसे यहां देख सकते हैं. ग्रुप ने ओपन लाइसेंस के तहत ऐप्लिकेशन के पीछे यहां कोड जारी किया है. इसका इस्तेमाल दूसरे डेवलपर्स दुनिया के दूसरे हिस्सों के लिए प्लैटफ़ॉर्म बनाने के लिए कर सकते हैं.
डिसूज़ा कहते हैं, "Google टूल से हम उपयोगकर्ता के हिसाब का वेबसाइट बना सकते हैं जो हमारे डिज़ाइन के लिए ज़रूरी था. साइट का आसानी से समझ में आना और इस्तेमाल किया जाना ज़रूरी है, क्योंकि इस डेटा के लिए टारगेट किए जाने वाले दर्शकों को आम तौर पर प्रोग्रामिंग की जानकारी नहीं होती. हर कोई जानता है कि Google Maps का इस्तेमाल कैसे करते हैं. इसलिए, वे साइट पर आ सकते हैं और तुरंत ज़रूरी जानकारी पा सकते हैं."
असर
Open Water Data वेब ऐप्लिकेशन की मदद से, अब शोधकर्ता, स्थानीय सरकारें, और दूसरे लोग ज़रूरी डेटा ऐक्सेस कर सकते हैं. साथ ही, जल संसाधनों और बाढ़ से राहत की योजना का बेहतर प्रबंधन भी कर सकते हैं. वे मौजूद पानी और इसकी मांग के अनुमान के लिए आसान मॉडल बनाकर उन इलाकों में पानी को आसानी से उपलब्ध करवा सकते हैं जहां इसकी कमी है.
डिसूज़ा कहते हैं, "भारत में पानी की बहुत कमी है और देश के विकास की ज़रूरतों के लिए पानी बुनियादी ज़रूरत है. Open Water Data वेब ऐप्लिकेशन से, अब हम साफ़ पानी के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं जो संसाधन के प्रबंधन के लिए ज़रूरी है."
वे कहते हैं कि समूह लोगों को ज़्यादा डेटा का ऐक्सेस देने के लिए काम कर रहा है. इसमें मिट्टी की नमी, भूजल, झीलों और नदियों, जल प्रवाह, जलाशयों की कमी, शहरी, और खेती के इस्तेमाल से जुड़ा डेटा शामिल है. इसके अलावा, एक और काम चल रहा है जिसमें शोधकर्ता, नागरिकों की तरफ़ से शुरू की गई मुहिम, गैर−लाभकारी संगठन, और दूसरे लोग अपने वॉटर डेटासेट को दूसरों के साथ शेयर करने के लिए प्लैटफ़ॉर्म पर योगदान दे पाएंगे. यह समाधानों पर बात करने के लिए ओपन डेटा की चाह रखने वाले समुदाय और योजना बनाने वाले लोगों को एक साथ लाने जा रहा है.
वे कहते हैं, "आखिरकार, हम उम्मीद रखते हैं कि ऐप्लिकेशन और इसकी पारदर्शिता से यह पता चलता है कि देश में पानी का इस्तेमाल कैसे किया जा रहा है, इसके बारे में ज़्यादा सही विकल्प बनाने में मदद मिलेगी. फ़िलहाल, ऐसा डेटा मौजूद नहीं है. हमें उम्मीद है कि यह प्रोजेक्ट और समुदाय इसे एक साथ लाकर भारत की सबसे ज़्यादा समस्याओं में से एक को हल करने में योगदान देगा.”