एसोसिएशन फ़ॉर इंटरप्रिटेशन, जापान

लेखक
कोज़ी फ़ुरुज़ (रिप्रेज़ेन्टेटिव डायरेक्टर- असोसिएशन फ़ॉर इंटरप्रिटेशन जापान और प्रोफ़ेसर- तेइक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस)
संगठन
एसोसिएशन फ़ॉर इंटरप्रिटेशन जापान
इस्तेमाल किए गए टूल
ओपन डेटा किट

ध्यान दें: Google ने दिसंबर 2018 में एलान किया था कि 'फ़्यूज़न टेबल' का इस्तेमाल बंद कर दिया जाएगा.

डिजिटल तरीके से वन्यजीवों की गतिविधियां रिकॉर्ड करें और प्रकृति को बेहतर तरीके से समझें

प्रकृति केंद्र डेटा जमा करने, उसे संगठित करने, और विज़ुअलाइज़ करने में अहम भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा, वे यहां आने वाले लोगों को उनके आस-पास मौजूद प्रकृति की अहमियत के बारे में भी बताते हैं. Google की टेक्नोलॉजी और Open Data Kit की मदद से हम न सिर्फ़ अपने काम को ज़्यादा बेहतर तरीके से पूरा कर सकते हैं, बल्कि इकट्ठा किए गए डेटा को शेयर करने और उसका विश्लेषण करने के लिए दूसरे इलाकों में मौजूद प्रकृति केंद्रों के साथ मिलकर एक टीम की तरह काम कर सकते हैं. इससे हमें उन बातों और चीज़ों के बारे में पता चलेगा जो अभी तक सामने नहीं आई हैं. हम इनका इस्तेमाल अपनी प्रदर्शनियों और गाइड प्रोग्राम को बेहतर बनाने के लिए भी कर सकते हैं, ताकि यहां आने वाले लोगों को प्रकृति के बारे में ज़्यादा अच्छे तरीके से समझाया जा सके.

कोज़ी फ़ुरुज़, रिप्रेज़ेन्टेटिव डायरेक्टर, असोसिएशन फ़ॉर इंटरप्रिटेशन जापान

असोसिएशन फ़ॉर इंटरप्रिटेशन जापान एक संगठन है जिसका मकसद प्रकृति को बेहतर ढंग से समझाने में मदद करना है. साथ ही इसका मकसद शैक्षिक गतिविधि में सुधार करना है और समाज को बेहतर बनाना है. प्रकृति के बीच बने पार्क, संग्रहालयों और दूसरी सामाजिक शिक्षा गतिविधियों में हिस्सा लेने से, प्रकृति को करीब से समझने में मदद मिलती है. इससे लोगों को प्रकृति के बारे में बेहतर तरीके से समझाया जा सकता है. इस तरीके से लोगों को कारगर और मज़ेदार तरीके से सिखाया जा सकता है. इन उद्देश्यों को पूरे करने के लिए यह संगठन, प्रकृति के विशेषज्ञों को ट्रेनिंग देता है, दूसरी संस्थाओं के साथ जुड़ता है, और इस क्षेत्र में शोध और विकास के काम करता है. असोसिएशन फ़ॉर इंटरप्रिटेशन जापान के रिप्रेज़ेन्टेटिव डायरेक्टर प्रो. कोज़ी फ़ुरुज़ कहते हैं कि जापान में प्रकृति केंद्रों में आयोजित होने वाली प्रदर्शनियों और दूसरे कार्यक्रमों की गुणवत्ता में सुधार करने से काफ़ी फ़ायदा होगा. इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ एक बेहतर समाज बनाने की दिशा में लोगों को जागरूक करने में मदद मिलेगी. इसलिए, वे कई प्रकृति केंद्रों में Open Data Kit और 'Google फ़्यूज़न टेबल' का इस्तेमाल करने की पहल की अगुवाई रहे हैं, जिसका मकसद वन्यजीवों की निगरानी को बेहतर बनाना और जानकारी दिखाने के तरीकों में सुधार करना है.

नासू, टोचिगी प्रांत में मौजूद, प्रकृति केंद्र "नासू हेसी−नो−मोरी फ़ॉरेस्ट" कई तरह की जानकारी उपलब्ध कराता है. इससे उनके क्षेत्रीय वातावरण और मौसम में हो रहे बदलाव के बारे में पता चलता है. उनकी प्रदर्शनियों को इस तरह से तैयार किया गया है कि यहां आने वालों को घूमने जाने से पहले, इलाके की काफ़ी बुनियादी जानकारी मिल जाती है.

उन्होंने यह कैसे किया

प्रकृति केंद्र में हर दिन होने वाली वन्यजीवों की निगरानी के बारे में प्रदर्शनियां और गाइड प्रोग्राम में बताया जाता है. इसलिए, आस-पास के वातावरण के बारे में नई जानकारी इकट्ठा करना, इसे सही ढंग से रखना, और इसका सही विश्लेषण करना ज़रूरी हो जाता है. हालांकि, प्रकृति केंद्र को एक समस्या का सामना करना पड़ रहा है: उन्हें बहुत से काम निपटाने होते हैं, लेकिन इनके के लिए हर केंद्र में ज़रूरत के मुताबिक स्टाफ़ नहीं हैं. टीम के सदस्य जो कुछ देखते हैं उसे अपनी नोटबुक में लिख लेते हैं, लेकिन उनके पास अपने डेटा को व्यवस्थित करने, एक साथ रखने, और शेयर करने का समय नहीं है.

कई प्राकृतिक केंद्रों में, टीम के सदस्य रोज़ के वन्य जीवन निरीक्षण से मिली जानकारी को नोट करके अपने डेटा को कंप्यूटर में डाल देते हैं या फिर उसे नोट किया हुआ ही छोड़ देते हैं.

प्रो. फ़ुरुज़ प्रकृति केंद्रों में टेक्नोलॉजी की मदद से वन्यजीवों की निगरानी को बेहतर बनाना चाहते थे. इसलिए, उन्होंने मई 2016 में हुई Google Earth Outreach हैंड्स-ऑन वर्कशॉप में हिस्सा लिया जहां उन्होंने Open Data Kit और 'Google फ़्यूज़न टेबल' के बारे में सीखा. वर्कशॉप में उन्होंने महसूस किया कि ये सेवाएं वन्य जीवन का निरीक्षण करने के तरीकों को बेहतर बनाने में मददगार साबित होंगी. इनकी मदद से प्रकृति केंद्र मिलकर काम कर सकते हैं और अपने डेटा को एक−दूसरे के साथ शेयर कर सकते हैं. वर्कशॉप के बाद, उन्होंने यमानो फ़्यूरोसाटो मूरा विज़िटर सेंटर (ओकुमा, टोक्यो) और निक्को नैशनल पार्क नासू हेसी−नो−मोरी फ़ॉरेस्ट (नासू, टोचिगी प्रांत) के लोगों के साथ Open Data Kit और 'Google फ़्यूज़न टेबल' का इस्तेमाल शुरू किया.

Open Data Kit से, उन सभी जैविक गतिविधियों को रिकॉर्ड कर सकते हैं जिनकी आप निगरानी कर रहे हैं. साथ ही, उनकी तस्वीरें ले सकते हैं और जगह का पता लगा सकते हैं. इसके बाद, सारी जानकारी 'Google फ़्यूज़न टेबल' में चली जाती है. इससे आप अपना काम तेज़ी से पूरा कर सकते हैं. इन सभी कोशिशें से आगे चलकर एक बेहतर नेटवर्क बनाने में मदद मिलेगी.

कोज़ी फ़ुरुज़, रिप्रेज़ेन्टेटिव डायरेक्टर, असोसिएशन फ़ॉर इंटरप्रिटेशन जापान

मोबाइल डिवाइस और Open Data Kit की मदद से प्रकृति केंद्र के कर्मचारियों ने जीवित प्राणियों की जानकारी (उनकी तस्वीरें, नाम, वर्ग, और स्थिति) को रिकॉर्ड किया. इसमें जगह की जानकारी जीपीएस से अपने-आप कैप्चर हो जाती है. आप ज़रूरी जानकारी इकट्ठा करने के लिए फ़ॉर्म को पसंद के मुताबिक बना सकते हैं.

'Google फ़्यूज़न टेबल' से वन्यजीवों की रिकॉर्ड की गई जानकारी को Google Maps पर विज़ुअलाइज़ करने में मदद मिलती है. आप एक नज़र में सारा डेटा देख सकते हैं और डेटा डिस्ट्रीब्यूशन में होने वाले बदलावों का विश्लेषण कर सकते हैं. यह सुविधा ऐसे रुझानों को समझने और सामने लाने में फ़ायदेमंद साबित होती जो अभी तक सामने नहीं आए हैं.

असर

ध्यान दें: Google ने दिसंबर 2018 में एलान किया था कि 'फ़्यूज़न टेबल' का इस्तेमाल बंदकर दिया जाएगा.

Open Data Kit की मदद से यमानो फ़ुरसटो मूरा विज़िटर सेंटर अपने आस-पास के वातावरण से काफ़ी सारा डेटा बहुत तेज़ी से जमा कर रहा है. प्रकृति केंद्र के एक विशेषज्ञ श्री. सकाटा ने बताया कि Open Data Kit और Google की टेक्नोलॉजी कितनी असरदार है और इसे लेकर वे कितने उत्साहित हैं. उनका कहना है, “मैपिंग काफ़ी आसान हो गई है. इस वजह से डेस्क वर्क काफ़ी कम हो गया है. यह बहुत शानदार है कि हमारा डेटा Google Maps से कनेक्ट है. हमारे और दूसरे प्रकृति केंद्रों के बीच हर रोज़ डिब्रीफ़िंग सेशन भी होते हैं. पहले, हमें सिलसिलेवार तरीके से अपनी रिपोर्ट पेश करते थे, लेकिन मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में हम एक-दूसरे के साथ अपना डेटा शेयर कर सकेंगे और कुछ प्रोजेक्ट पर मिलकर काम कर पाएंगे. मुझे इसमें काफ़ी संभावनाएं दिख रही हैं.”

वन्यजीवों की रिकॉर्डिंग को अलग-अलग रंगों के ज़रिए "स्तनधारी", "पक्षी", "पौधे", "कीड़े" जैसी कई श्रेणियों में बांटा गया है. 'Google फ़्यूज़न टेबल' में यह दिखाई देते हैं. अब तक, उन्होंने करीब 600 अलग-अलग तरह की जानकारी रिकॉर्ड की हैं.

वन्यजीवों की रिकॉर्डिंग को एक पैनल के तौर पर दिखाया जा सकता है. इससे जानकारी दिखाने के तरीके बेहतर हो रहे हैं.

यमानो फ़ुरसटो मूरा विज़िटर सेंटर, तेइक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस में पशु विज्ञान विभाग के छात्रों के लिए एक ऐसे बेस सेंटर के तौर पर भी काम करता है जहां वे फ़ील्डवर्क कर सकते हैं. प्रो. फ़ुरुज़ इसी यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं. उन्होंने अपनी कक्षा में छात्रों के साथ Open Data Kit का इस्तेमाल किया है. साल 2016 की सर्दियों में तेइक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस के असोसिएट प्रोफ़ेसर मसाकी शिमांदा ने फ़ील्डवर्क गतिविधि भी शुरू की. इसमें करीब 50 छात्रों ने हिस्सा लिया और केंद्र के आस-पास मौजूद वन्यजीवों की निगरानी के लिए बनाए दो प्रोजेक्ट पूरे किए.

अब तक, प्रकृति केंद्र के आस-पास से करीब 600 अलग-अलग तरह की जानकारी जमा की गई है. पहले से मौजूद डेटा को Open Data Kit में डाला जा रहा है. इन सब चीज़ों का इस केंद्र में चलाई जाने वाली प्रदर्शनी और गाइड प्रोग्राम पर काफ़ी अच्छा असर पड़ रहा है.

नासू हेसी−नो−मोरी फ़ॉरेस्ट जापान के सबसे बेहतर प्रकृति केंद्रों में से एक है. यहां प्रकृति की जानकारी देने का काम लगातार चलता रहता है. अभी यह प्रकृति केंद्र वन्यजीवों की हर दिन की जाने वाली निगरानी से मिले डेटा को डिजिटल बनाने में जुटा हुआ है. इससे मिलने वाले नतीजों को सेंटर के गाइड प्रोग्राम में लागू किया जा रहा है. इसके साथ ही, केंद्र को पिछले कुछ सालों में आस-पास के इलाकों में एशियाई काले भालू के लगातार दिखाई देने के बारे में नासू के निवासियों से ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी भी मिल रही है. केंद्र में काम करने वाले एक और विशेषज्ञ श्री मिगिटा का कहना है कि Open Data Kit के ज़रिए हम दूसरे सेंटर के साथ मिलकर काम कर सकते हैं और उन भालुओं (मून बीअर) की निगरानी से मिले डेटा का विश्लेषण करके नई या मिलती−जुलती जानकारी हासिल कर सकते हैं. इससे न सिर्फ़ वहां के निवासियों को भालुओं से दूर रखने में मदद मिल सकती है, बल्कि इससे लोगों और प्रकृति के बीच के संबंधों के बारे में ज़्यादा गहराई से सोचा जा सकता है. अगर आप जानते हैं कि उन भालुओं के साथ कैसा व्यवहार करना है, तो वे असल में उतने खतरनाक साबित नहीं होंगे जितना उन्हें माना जाता है.

Open Data Kit से बीक के पेड़ पर मौजूद मून बीअर के पंजों के निशान रिकॉर्ड करते श्री. मिगिटा

आस-पास के इलाके में मौजूद मून बीअर की मौजूदगी बारे में जानकारी को रिकॉर्ड करते श्री. मिगिटा.

अगर वन्यजीवों का रिकॉर्ड किया हुआ डिजिटल डेटा एक नेटवर्क की तरह ज़्यादा से ज़्यादा प्रकृति केंद्रों तक पहुंचता है, तो हम वास्तविक समय में हर केंद्र के आस-पास होने वाली हर प्राकृतिक गतिविधि की जानकारी जुटा पाएंगे. ऐसा करके हम दूसरे इलाकों की तुलना उन इलाकों से कर सकते हैं जिनकी जानकारी हमारे पास मौजूद है. इससे हमें लोगों को बेहतर जानकारी देने में काफ़ी मदद मिलेगी. मैं चाहता हूं कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग प्रकृति केंद्रों में आएं और उनका आनंद लें. हमें इस मकसद पर भी काम करना चाहिए.

प्रो. फ़ुरुज़

अपने सेंटर के नक्शे पर चर्चा करते टीम के सदस्य इस बात पर विचार कर रहे हैं कि जमा किए डेटा को उन सेवाओं के लिए कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है जो वे मुहैया कराते हैं.

यहां ज़्यादा जानें:
Open Data Kit tutorials
Association for Interpretation Japan