मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट एंड सेंटर फ़ॉर हर्पेटोलॉजी
चुनौती और संगठन
मगरमच्छ की जो प्रजातियां खतरे में हैं उनकी रक्षा के लिए, साल 1976 में मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट एंड सेंटर फ़ॉर हर्पेटोलॉजी (MCBT) बनाया गया. रेंगने वाले जीवों का यह चिड़ियाघर और रिसर्च सेंटर भारत के तमिलनाडु राज्य में बना है. MCBT का मिशन इन रेंगने वाले जीवों और उभयचरों के जीवन की सुरक्षा के साथ-साथ उनके प्राकृतिक आवास का संरक्षण करना भी है. MCBT इसके लिए यह लोगों को जानकारी देता है, वैज्ञानिक अनुसंधान करता है और संरक्षित रूप से प्रजनन कार्यक्रमों को बढ़ावा देने का काम करता है. Google My Maps और Open Data Kit की मदद से, MCBT किंग कोबरा के व्यवहार पर रिसर्च कर रहा है. साथ ही वह यह जानकारी स्थानीय लोगों के साथ शेयर कर रहा है, ताकि वे सांपों के साथ शांति से रह सकें.
उन्होंने यह कैसे किया
किंग कोबरा रिसर्च प्रोजेक्ट के हिस्से में MCBT के अगुम्बे रेनफ़ॉरेस्ट रिसर्च स्टेशन में सांपों को ट्रैक करना, उनकी गतिविधियों और समागम व्यवहारों का अध्ययन करना शामिल है. नम, दूर मौजूद वर्षावन में डेटा इकट्ठा करना मुश्किल है. अगुम्बे भारत के सबसे ज़्यादा बारिश वाले जगहों में से एक है और यहां इंटरनेट कनेक्टिविटी या तो खराब है या मौजूद नहीं है. स्वयंसेवी शोधकर्ताओं, जिन्होंने अपने नतीजों को काग़ज़ पर लिखा था, ने माना कि उनके नोट्स पढ़ना मुश्किल था या वे बारिश और नमी से खराब हो गए थे.
जब शोधकर्ता काग़ज़ पर लिखे अपने रिकॉर्ड को रिसर्च केंद्र में देते थे, तब अनुवादक उस जानकारी को स्प्रेडशीट में डालते थे. यह प्रक्रिया धीमी थी और अक्सर इसमें गलतियां होती थीं, जिनकी वजह से डेटा कम विश्वसनीय हो गया.
MCBT के संयुक्त निदेशक ऑलविन जेसुदासन बताते हैं, "बारिश की वजह से रिसर्च स्टेशन पर रहना बहुत मुश्किल हो सकता है. जब चीज़ें गलत होती है, तो सबसे पहले जिस चीज़ में दिक्कत आती है वह है डेटा. हमारे पास बहुत सारा डेटा हफ़्तों तक जमा हो जाता है, जिसमें से कुछ पर तो रिसर्च भी नहीं हो पाती".
फ़रवरी 2018 में, जेसुदासन ने भारत में हुए 'जियो फ़ॉर गुड' सम्मेलन में भाग लिया और Open Data Kit (ODK) के बारे में जानकारी हासिल की. यह एक ओपन सोर्स सॉफ़्टवेयर है, जिसका इस्तेमाल सीमित संसाधनों वाली जगहों पर डेटा इकट्ठा करने, मैनेज करने, और उसका इस्तेमाल करने में किया जाता है. सम्मेलन के बाद, एमसीबीटी के शोधकर्ताओं ने अगुंबे में किंग कोबरा का डेटा इकट्ठा करने के लिए, स्मार्टफ़ोन पर ODK का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया.
ODK Collect ऐप्लिकेशन को डेटा इकट्ठा करने के लिए इंटरनेट की ज़रूरत नहीं होती है, इसलिए स्वयंसेवकों को फ़ील्ड में अपने डिवाइस कनेक्ट करने को लेकर परेशान नहीं होना पड़ता. वे आसानी से अपने स्मार्टफ़ोन में किंग कोबरा वाली जगहों के पॉइंट और निर्देशांक सेव कर सकते हैं. अगुम्बे रिसर्च स्टेशन में लौटने पर स्वयंसेवक अपने फ़ोन इंटरनेट से कनेक्ट करके इकट्ठा किया डेटा 'Google पत्रक' और 'Google डिस्क' में अपलोड कर सकते हैं. ऐसा करते समय, Google My Maps किंग कोबरा वाली जगहों के लिए पसंद के मुताबिक मैप बनाने में शोधकर्ताओं की मदद कर सकता है.
असर
ODK का इस्तेमाल करके, MCBT शोधकर्ताओं ने काग़ज़ पर डेटा इकट्ठा करने की समस्याओं को खत्म कर दिया है. इससे काग़ज़ से स्प्रेडशीट में डेटा ट्रांसफ़र करने की वजह से होने वाली गड़बड़ियां खत्म हुई हैं. अब स्वयंसेवकों के फ़ील्ड से लौटते ही डेटा उपलब्ध करा दिया जाता है. पहले इसमें हफ़्ते भर का समय लग जाता था.
ODK दुनिया भर के शोधकर्ताओं को उसी सबसे नए डेटा सेट के साथ काम करने में मदद करता है. जेसुदासन चेन्नई में रहते हैं, जबकि प्रोजेक्ट के प्रमुख जांचकर्ताओं में से एक डॉ. मैट गुड संयुक्त राज्य अमेरिका में एरिज़ोना यूनिवर्सिटी में हैं. रोमुलस विटेकर जाने-माने सरीसृप और उभयचरों जीवों के जानकार और जांचकर्ता हैं, जो चेन्नई के पास चैंगलपट्ट में काम करते हैं.
जेसुदासन कहते हैं कि “प्रोजेक्ट में काम करने वाले सभी जानकार अलग−अलग जगहों पर रहते हैं, फिर भी हम हर दिन वास्तविक समय में डेटा को ऐक्सेस कर सकते हैं. हम डेटा एंट्री करने में समय बिताने के बजाय डेटा पर पहले के मुकाबले जल्दी काम कर सकते हैं.”
Open Data Kit इस्तेमाल करने से पहले MCBT ने सिर्फ़ डेटा ट्रांसक्रिप्शन के लिए एक व्यक्ति को काम पर रखा था. जेसुदासन कहते हैं, "अब वह व्यक्ति हमारी रिसर्च को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है. यह हमारे पैसे का बेहतर इस्तेमाल है."
अगुम्बे रिसर्च स्टेशन से हटकर MCBT के सदस्य रेंगने वाले जीवों को बेहतर ढंग से समझने के लिए, Open Data Kit का इस्तेमाल करने के दूसरे तरीके तलाश रहे हैं. MCBT के चिड़ियाघर में, देख-रेख करने वाले लोग रेंगने वाले जीवों के खाने की मात्रा ट्रैक करने के लिए ODK का इस्तेमाल करते हैं जो उनके जीवन चक्र में आहार का अध्ययन करने के लिए मददगार है. देख-रेख करने वाले सदस्यों में एक पढ़ या लिख नहीं सकता है. MCBT की तकनीकी टीम जानवरों और उनके आहार की तस्वीरें जोड़ने के लिए, ODK के डेटा एंट्री वर्कफ़्लो में बदलाव करने के प्रोसेस में है. इस बदलाव से चिड़ियाघर की देख-रेख करने वाले बस सही तस्वीर चुनकर डेटा डाल सकते हैं. जेसुदासन कहते हैं, "ODK से गैर−तकनीकी लोगों के लिए डेटा डालना आसान हो जाएगा."
शोधकर्ता भारत भर में सांप की विषरोधक दवा की उपलब्धता में सुधार लाने के लिए, ODK का इस्तेमाल कर डेटा इकट्ठा करने पर विचार कर रहे हैं. भारत में हर साल करीब 50,000 लोग सांप के काटने से मरते हैं. यहां ऐसा कोई सिस्टम नहीं है जिससे यह पहचान की जा सके कि देश के अलग−अलग हिस्सों में कौनसे सांप मौजूद है और कौनसा विषरोधक (जो कि सांपों से ही मिलता है) पा सकते हैं. MCBT के पार्टनर The Indian Snakebite Initiative में “चिकित्सकीय तौर पर महत्वपूर्ण सांपों” के रहने की जगह की मैपिंग की जा रही है. जेसुदासन कहते हैं कि हमारा लक्ष्य उन लोगों की संख्या में कमी लाना और जान बचाना है जिन्हें जानलेवा सांप डस लेते हैं. साथ ही, सांपों के जीवन को बचाना भी है. ODK ने ज़हर के नमूने इकट्ठे करने में अहम भूमिका निभाई है और इन नमूनों को 'इंडियन स्नेकबाइट इनीशिएटिव' के साथ शेयर किया गया.
जेसुदासन बताते हैं, "हम अक्सर नई टेक्नोलॉजी को अपनाने से बचने की कोशिश करते हैं. ODK ने यह मानसिकता बदली है. अब, इससे पहले कि मैं भी इसका इस्तेमाल करने का सुझाव दूं, सहकर्मी तुरंत सोचते हैं, हम ODK के साथ यह प्रोजेक्ट कैसे कर सकते हैं?" ODK न सिर्फ़ डेटा−इकट्ठा करने की प्रक्रिया की कई खामियों को दूर कर रहा है, बल्कि यह MCBT को भी प्रोत्साहित कर रहा है, ताकि संगठन में रिसर्च और रेंगनेवाले जीवों की देखभाल में सुधार के लिए नए तरीके खोजे जा सकें.