हमारे बदलते पर्यावरण का यूएनईपी एटलस

लेखक
अशबिंदु सिंह, चीफ़ अर्ली वॉर्निंग ब्रांच, डिवीज़न ऑफ़ अर्ली वॉर्निंग ऐंड असेसमेंट, यूएनईपी, और मिशेल एल. एंथोनी, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, SGT
संगठन
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी)
इस्तेमाल किए गए टूल
Google Earth, Google Earth Pro, Google Maps

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) का मुख्य काम, विश्व पर्यावरण की स्थिति की निगरानी करके यह पक्का करना है कि बड़े स्तर पर अंतरराष्ट्रीय महत्व वाली उभरती पर्यावरणीय समस्याएं सरकारों का ध्यान खींचती हैं.

एक यूएनईपी प्रकाशन, 'वन प्लैनेट, मैनी पीपुल; एटलस ऑफ़ अवर चेंजिंग एनवॉयरमेंट' जून, 2005 में विश्व पर्यावरण दिवस समारोह के मौके पर जारी किया गया था और तब से इसे नियमित तौर पर अपडेट किया जा रहा है. इसमें दुनिया भर की ऐसी जगहों की सैटेलाइट तस्वीरें हैं जहां पर्यावरण में बहुत ज़्यादा बदलाव हो रहे हैं. इसके बाद, यूएनईपी ने एटलस की तस्वीरें और बाकी जानकारी इंटरनेट पर मुहैया करवा दी. इसका यूआरएल www.uneplive.org है.

'एटलस' ने लोगों को वैश्विक पर्यावरणीय मुद्दों को पहचानने, समझने, और काम करने में काफ़ी कामयाबी हासिल की. पानी की कमी, जंगल को होने वाले नुकसान, पारिस्थितिकी तंत्र की गिरावट, जैव विविधता को नुकसान, जनजातियों, और जलवायु बदलाव जैसे मुद्दों के धीमे विकास की वजह से अक्सर नीति बनाने वालों और जनता के लिए पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन के आधार पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों बदलावों की कल्पना करना और उन्हें समझना बहुत मुश्किल होता है. ग्रह पर करीब 30 वर्षों के प्रमुख हॉटस्पॉट की तस्वीरों का इस्तेमाल करके (नासा अंतरिक्षयान से ली गई सैटेलाइट तस्वीरें और यूएस जियोलॉजिकल सर्वे से फैलाई गई), इन बदलावों के देखे जाने वाले प्रमाण अब साफ़ तौर पर और आसानी से उपलब्ध हैं. 'एटलस' से तुरंत सफलता मिली और यह यूएनईपी की अब तक की सबसे ज़्यादा बिकने वाला और सबसे ज़्यादा मुनाफ़ा देने वाला प्रकाशन बन गया है. इसने दुनिया भर में बड़े पैमाने पर कवरेज पाई है और कई प्रतिष्ठित प्रकाशन पुरस्कार जीते हैं. यह दिखाता है कि तस्वीरें, खास वैश्विक पर्यावरणीय जानकारी को बयां करने में कामयाब रही हैं.

Google के साथ साझेदारी शुरू करके यूएनईपी ने बहुत सराहनीय काम किया है. यह बेहद फ़ायदेमंद लाइब्रेरी अब 50 करोड़ से ज़्यादा लोगों के लिए उपलब्ध है. Google Earth की वेबसाइट 13 सितंबर, 2006 को कंपनी के 3D वर्चुअल वर्ल्ड ब्राउज़र पर खोली गई. यह उपयोगकर्ताओं को सैटेलाइट-आधारित, रंग, ग्रह के 3D तस्वीरों को किसी भी जगह पर ज़ूम करने की सुविधा देती है. इसमें यूएनईपी की 'एटलस' फ़ोटो ऊपर से लगाई जा सकती हैं. जिससे बहुत से उपयोगकर्ता दुनिया के कुछ सबसे चुनौतीपूर्ण इलाकों की पिछले 30 सालों के दौरान की इमेज देख सकते हैं. यह पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन बदलावों को देखने और उन्हें समझने में मदद करता है. इस तरह नीति बनाने वाले और आम लोग प्रेरक कारकों के मुताबिक रचनात्मक कार्रवाई कर सकते हैं.

उन्होंने यह कैसे किया

हमारी KML परत में दुनिया भर की 120 साइटें शामिल हैं जहां हमने पर्यावरण में होने वाले बदलावों पर शोध और अध्ययन किया है. हर साइट (भौगोलिक बिंदु) के लिए, KML में पर्यावरण में होने वाले बदलाव की कहानी, तस्वीरों की थंबनेल इमेज, और हमारी वेबसाइट के लिंक शामिल हैं. KML में उन असल तस्वीरों के संग्रह के लिंक भी शामिल हैं जिन्हें Google Earth में ऊपर से लगाकर तुलना की जा सकती है.

हमने एक ऐसा सिस्टम बनाने के लिए KML फ़ाइलों के संयोजन का इस्तेमाल किया है जिससे उपयोगकर्ताओं हमारे 'एटलस' में 120 जगहें देख सकते हैं. साथ ही, हर साइट की आम जानकारी पाने के लिए शोध कर सकते हैं. तब हम KML फ़ाइलों का एक दूसरा स्तर देते हैं जिससे उपयोगकर्ता बताए गए पर्यावरणीय बदलावों को देखने के लिए Google Earth की बुनियादी परत के ऊपर तस्वीरों के संग्रह को लगा सकते हैं.

KML की हर साइट हमारी वेबसाइट को दिखाती है जो डेटाबेस से डाइनैमिक रूप से तैयार होती है. हमारी वेब साइट पर उपयोगकर्ता हर साइट के बारे में ज़्यादा जानकारी और फ़ोटो देख सकते हैं और कम या हाई रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें डाउनलोड कर सकते हैं.

हमने एक PHP स्क्रिप्ट तैयार की है जो मुख्य परत के लिए हमारे मास्टर KML स्क्रिप्ट को जनरेट करने के लिए MySQL डेटाबेस के साथ इंटरैक्ट करता है. हमने इंट्रानेट−आधारित सिस्टम तैयार किया है. इससे हमारे वैज्ञानिक MySQL डेटाबेस में वेब ब्राउज़र सिस्टम से हमारे 'एटलस' की सामग्री को विकसित और सेव कर सकते हैं. हम अलग-अलग KML फ़ाइलें बनाने के लिए भी Google Earth Pro सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं. ये Google Earth से मिली तस्वीरों के संग्रह को ऊपर से लगाने के लिए हर साइट से जुड़े हैं.

'यूएनईपी एटलस' के हमारे शुरुआती डिज़ाइन ने Google Maps के साथ-साथ Google Earth का इस्तेमाल किया. यह पर्यावरणीय हॉट स्पॉट के हमारे डेटाबेस पर आधारित था. हमारी Google Maps वेबसाइट, हमारे MySQL डेटाबेस से जनरेट होती है. शुरुआती दिनों में, हमने Google Maps सिस्टम को जनरेट करने के लिए JavaScript का इस्तेमाल किया था, लेकिन हाल ही में हमने इसे KML से डेटाबेस का इस्तेमाल करने के लिए अपग्रेड किया है. हमारा PHP−MySQL सिस्टम अब एक बेहतर और इंटीग्रेट किए गए सिस्टम के लिए, KML डेटा को सीधे Google Earth और Google Maps के क्लाइंट को फ़ीड कर सकता है.

इसमें चार लोग सीधे तौर पर शामिल थे, लेकिन करीब पांच महीनों के लिए खास तौर पर शुरुआती रिलीज पर काम नहीं कर रहे थे. लॉन्च के बाद से, एक व्यक्ति असली Google Earth के प्रोजेक्ट पर अंशकालिक तौर पर काम करता है, और दूसरे लोग Google Earth के लिए सामग्री लिखने के साथ ही किताबों के प्रकाशन और हमारी वेब साइट के लिए भी काम करते हैं.

अरल सागर 1973 (बाईं ओर) कैसा था और 2004 में (दाईं ओर) कैसा हो गया है, बताया गया है. कपास की खेती के लिए पानी मोड़ने के चलते, 2004 तक अरल सागर अपने पुराने आकार का एक-चौथाई रह गया है.

ये सैटेलाइट तस्वीरें हमारी आंखें खोलती हैं कि कैसे हम अपने ग्रह को विनाशकारी बदलावों से बर्बाद कर रहे हैं. Google Earth और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी), आज इन शानदार तस्वीरों से हमारे ग्रह के सामने आने वाले खतरों की कल्पना के लिए एक नया तरीका पेश कर रहे हैं. हम वैश्विक Google समुदाय में जाकर उन लाखों लोगों से संपर्क कर सकते हैं जो एक साथ काम करके बदलाव लाने की काबिलियत रखते हैं.

अचिम स्टेनर, कार्यकारी निदेशक, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी)

असर

Google Earth ने 13 सितंबर, 2006 को अपनी "चुनिंदा सामग्री" के तौर पर 'यूएनईपी एटलस ऑफ़ चेंजिंग इनवॉयरमेंट' जारी किया. देखते ही देखते, यह 'एटलस' Google Earth का सबसे ज़्यादा मशहूर फ़ीचर बन गया. Google Earth ने 120 पर्यावरण हॉटस्पॉट के लिए 10 अप्रैल, 2007 को नई यूएनईपी सामग्री जारी की जो पर्यावरण की समस्याओं पर दुनिया का ध्यान खींचने के लिए "वैश्विक जागरूकता" नाम से नई परत का ग्रुप बना रही है.

यूएनईपी ने एक वैश्विक प्रेस रिलीज़ जारी की जिसे Google Earth ब्लॉग पर प्रकाशित किया गया. फिर, हमने अंतरराष्ट्रीय डिजिटल Earth 3D विज़ुअलाइज़ेशन ग्रैंड चैलेंज जीता और हमारे प्रोजेक्ट को सैन फ़्रैंसिस्को में 5 से 9 जून, 2007 को डिजिटल Earth पर पांचवीं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में मान्यता दी गई.

हमने 'एटलस' को कई सम्मेलनों में पेश किया, जिसमें फरवरी, 2007 में आयोजित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) गवर्निंग काउंसिल की बैठक शामिल है जिसने दुनिया भर के वरिष्ठ पर्यावरण अधिकारियों के बीच बहुत उत्साह पैदा किया. उसके बाद से अफ़्रीका: एटलस ऑफ़ अवर चेंजिंग इनवायरमेंट, अफ़्रीका वॉटर एटलस, लैटिन अमेरिका, और कैरेबियन एटलस, केन्या एटलस, और युगांडा के एटलस जैसे कई एटलस तैयार किए गए हैं.

2011 में, यूएनईपी ने 'यूएनईपी लाइव' नामक एक नया सिस्टम बनाना शुरू किया. इस सिस्टम का मकसद सभी रिपोर्ट, डेटा, मैप, और तस्वीरों के संग्रह का ऐक्सेस देना और पर्यावरण की डाइनैमिक स्थिति की रिपोर्टिंग में मदद करना था. 'एटलस' की सारी डिजिटल जानकारी को 2012 में 'यूएनईपी लाइव' सिस्टम में भेजने और पूरी तरह से लागू करने की योजना बनाई गई है.

'एटलस' ने दुनिया के पर्यावरण के मुद्दों को उजागर किया है और इसे दुनिया भर में लाखों इंटरनेट उपयोगकर्ताओं तक पहुंचाया है. इसने सार्वजनिक जागरूकता को बढ़ावा दिया है और नीति बनाने वालों को पर्यावरणीय निर्णय लेने में मदद की है. एक अहम कोशिश के तौर पर, इसने काफ़ी मीडिया कवरेज पाई है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूएनईपी की प्रोफ़ाइल बढ़ाने में मदद की है. 'एटलस' ने हमारी वेबसाइट पर ट्रैफ़िक बढ़ाने में भी योगदान दिया है और दूसरे अंतरराष्ट्रीय संगठनों को भी इसी तरह की साझेदारी का पता लगाने के लिए बढ़ावा दिया है.

Google के साथ साझेदारी हम दोनों के लिए फ़ायदेमंद साबित हुई है. सामग्री विकसित करने की प्रक्रिया में, यूएनईपी की टीम के सदस्य करके सीखने की सख़्त प्रक्रिया से गुज़रे हैं. इसने हमारी टीम के सभी सदस्यों के तकनीकी कौशल को बढ़ाने में मदद की है. इस साझेदारी की सफलता ने कई दूसरे वेब आधारित प्रोजेक्ट जैसे मल्टीमीडिया इंटरैक्टिव सीडी के लिए प्रेरित किया है.

Google Earth का यह वीडियो पुरानी तस्वीरों का इस्तेमाल करके यह दिखाता है कि कैसे अरल सागर 50 साल पहले के आकार की तुलना में अब एक चौथाई रह गया है.